Love poetry
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हम नहीं समझ पाते दिल की बात

न साथ चलती है, न पास रहती है।
दिल में रहती है, करती है प्यारी-प्यारी बात।
नहीं हो सकते, हम तुमसे दूर।
न साथ चलती है, न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

नहीं सुनती किसी की, पर करती है दिल की बात।
न जाने क्यों बसाए उसने , अपने दिल में।
दिल में रहकर ,करती है घात।
न साथ चलती है, न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

हम भी आज़माए हैं कई-कई  बार, कि जाने तुम्हारे दिल की बात।
नहीं समझ पाया तुम को, तुम किसे करती हो प्यार।
न साथ चलती है, न पास रहती हो।
बस करती हो दिल की बात।

कभी इधर, कभी उधर करती है बात,
हम नहीं समझ पाते, उसकी दिल की बात।

तुम चाहती हो किसे? कम से कम इतना तो बता।
न साथ चलती है , न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

न जाने क्यों आया, इस दिल के महल में।
घर तो अपना भी था, दिल के शहर में।

अब तो बता, मैं करूं क्या?
हम नहीं समझ पाते, तुम्हारी दिल की बात।

तुम तो करती हो, मुझसे भी बात।
पर नहीं समझ पाते, आपके दिल की बात।

जब तुम्हे लगी थी, ज़ोर से भूख।
हमने पूछा था, खाने को भरपूर।
ठुकरा दिया मेरे खाने को,
किसी और ने दिया तो खा लिया।

तुम तो करती हो, मुझसे भी बात।
हम नहीं समझ पाते, तुम्हारी दिल की बात।

अब तो, बात भी नहीं होती तुमसे।
अब किससे करती हो बात।

अब तो, हम हो गए अकेले,
अब किससे करेंगे बात।

न साथ चलती है, न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

By: Govind K. India

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