हम नहीं समझ पाते दिल की बात

Love Poetry


न साथ चलती है ,न पास रहती है।
दिल में रहती है ,करती है प्यारी-प्यारी बात ।
नहीं हो सकते, तुमसे दूर।
न साथ चलती है ,न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

नहीं सुनती किसी की ,पर करती है दिल की बात।
न जाने क्यों बसाये ,अपने दिल में।
दिल में रह कर करती है, घात
न साथ चलती है न पास रहती है।
बस करती है दिल की बात।

हम भी आजमाए है कई बार ,की जाने तुम्हारे दिल बात।
नहीं समझ पाया तुमको ,तुम किसे करती हो प्यार।
न साथ चलती हो ,न पास रहती हो।
बस करती हो दिल की बात।

कभी इधर, कभी उधर करती है बात,
हम नहीं समझ पाते ,आपकी दिल की बात।

तुम चाहती हो किसे ?  कम से कम इतना तो बता।
न साथ चलती हो ,न पास रहती हो।
बस करती हो दिल की बात।

न जाने क्यों आया ,इस दिल के महल में।
घर तो अपना भी था ,दिल के शहर में।

अब तो बता ,मैं करू क्या ?
हम नहीं समझ पाते ,आपकी दिल की बात।

तुम तो करती हो, मुझ से भी  बात।
पर नहीं समझ पाते, आपके दिल की बात।

जब आपको लगी थी ,जोर से भूख ।
हमने पूछा था, खाने को भरपूर।
ठुकरा दिया मेरे खाने को,
किसी और ने दिया तो खा लिया।

तुम तो करती हो ,मुझ से भी  बात।
हम नहीं समझ पाते ,आपकी दिल की बात।

अब तो, बात भी नहीं होती तुमसे।

अब किससे करती हो बात। 

अब तो, हम  हो गए अकेले ,

अब किससे करेंगे बात।

न साथ चलती है न पास रहती है।

बस करती है दिल की बात।

 

लेखक –……………………….

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